Adhunik Shiksha Padhhati Ane Kelavani Swami Vivekanand
ळवीने तमे पोताने केळवायेला मानो छो म,खरु ?
धिक्कार छे तमने ! शुं आ विद्या छे ? तमारी विद्यानुं ध्येय शुं छे ? कां तो ऐक कारकुन , कां तो ऐक वकील अथवा बहु बहु तो ऐक डेप्युटी मेजीस्ट्रेट थवानु, के जे पण कारकुनीनुं बिजु स्वरुप ज छे ! शुं आटलामां ज बधुं समाई जाय छे ? तमारु के तमारा देश नुं ऐ शुं भलु करशे ?
तमारी आंखो खोलो अने जुवो के जे भारत तेनी सम्रद्धी माटे प्रख्यात छे छता तेमां अन्न माटे केवो करुण पुकार उठे छे?
शुं तमारी विद्या आ जरुरीयात पुरी पाडशे ?
जे केळवणी जनताने जीवनना संघर्ष सामे झझुमवानी ताकात आपती नथी
जे चारित्र्यबळने द्रढ करती नथी,ते शुं केळवणीना नामने लायक छे
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